Check Out our Winter Collection | Free shipping on order above Rs. 499 on prepaid payment

श्रीकृष्ण और मोरपंख का संबंध, दिव्यता, प्रेम, और परंपरा का प्रतीक

भगवान श्रीकृष्ण को वैसे तो कई नामों से जाना जाता है लेकिन आमतौर पर उन्हें प्यार से बाल गोपाल के नाम से पुकारते है। बाल गोपाल की तरह ही नंदलाल श्रीकृष्ण अपने सिर पर मोरपंख धारण करते है। शीष पर मोरपंख धारण करने की परंपरा उनके अद्वितीय और प्रिय स्वरूप का प्रतीक है। श्री कृष्ण और मोरपंख से गहरा संबंध है। माना जाता है कि मोरपंख श्रीकृष्ण के दिव्य और चंचल व्यक्तित्व को दर्शाता है।

आपको बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस वर्ष 26 अगस्त 2024 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाएगी।
भगवान श्रीकृष्ण के सिर पर मोरपंख धारण करने की परंपरा उनके अद्वितीय और प्रिय स्वरूप का प्रतीक है। मोरपंख का श्रीकृष्ण से गहरा संबंध माना जाता है, जो उनके दिव्य और चंचल व्यक्तित्व को दर्शाता है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा मोरपंख धारण करने के बाद से यह और भी अधिक पवित्र माना जाने लगा है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मोरपंख श्रीकृष्ण के प्रति मोरों के विशेष स्नेह और प्रेम का प्रतीक है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बांसुरी बजाते थे, तो मोर उनके पास आकर नृत्य करने लगते थे। मोरपंख उनके इस नृत्य और प्रेम का प्रतीक बन गया, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सिर पर धारण कर लिया। यह मोरपंख उनके अनोखे स्वरूप और दिव्यता का अभिन्न अंग बन गया, जो आज भी उनकी छवि का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भगवान श्रीराम ने दिया वरदान

धार्मिक कथा के मुताबिक, जब भगवान विष्णु ने त्रेता युग में मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। 14 वर्ष के वनवास के दौरान वन में रावण माता सीता का हरण करके लंका ले गया था। तब श्रीराम और लक्ष्मण माता सीता का पता लगा रहे थे तब उनकी मुलाकात एक मोर से हुई थी। तब एक मोर ने कहा कि प्रभु मैं आपको रास्ता बता सकता हूं कि रावण सीता माता को किस ओर ले गया है, पर मैं आकाश मार्ग से जाऊंगा और आप पैदल मगर आप रास्ता भटक ना जाए इस कारण मैं अपना एक-एक मोर पंख गिराता हुआ जाऊंगा। जिससे आप रास्ता ना भटके और इस तरह मोर ने श्री राम को रास्ता बताया परंतु अंत में वह मरणासन्न हो गया। क्योंकि मोर के पंख एक विशिष्ट मौसम में अपने आप ही गिरते हैं ,अगर इस तरह जानबूझ के पंख गिरे तो उसकी मृत्यु हो जाती है। श्रीराम ने उस मोर को कहा कि वे इस जन्म में उसके इस उपकार का मूल्य तो नहीं चुका सकते परंतु अपने अगले जन्म में उसके सम्मान में पंख को अपने मुकुट में धारण करेंगे और इस तरह श्रीहरि ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया और अपने मुकुट में मोर पंख को धारण किया।

पवित्र पक्षी होने के कारण भगवान का प्रिय

श्रीकृष्ण के मोर पंख धारण करने के पीछे एक प्रचलित कहानी है कि मोर ही सिर्फ ऐसा पक्षी है, जो जीवन भर ब्रह्मचर्य रहता है। ऐसा कहा जाता है कि मादा मोर नर मोर के आंसू पीकर गर्भ धारण करती है। इस प्रकार श्री कृष्ण ऐसे पवित्र पक्षी के पंख को अपने माथे पर सजाते हैं। ज्योतिष मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की कुंडली में कालसर्प योग था। मोर और सांप की दुश्मनी है। यही वजह है कि कालसर्प योग में मोर पंख को साथ रखने की सलाह दी जाती है। कालसर्प दोष का प्रभाव करने के लिए भी भगवान कृष्ण मोरपंख को सदा साथ रखते थे।

You can also check: How Does Karmabai’s Khichdi Delight Her Dear Krishna?

Published
Categorized as Blog

Leave a comment

Shopping cart0
There are no products in the cart!
Continue shopping
0
Open chat
Hello 👋
Can we help you?
Account
Wish list