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देव शयनी एकादशी का महत्व और धार्मिक महत्व

देव शयनी एकादशी जिसे हरिशयनी एकादशी या पद्मनाभा एकादशी भी कहते हैं, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और चार महीनों के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) को जागते हैं। इस अवधि को ‘चातुर्मास’ कहा जाता है।

व्रत की कहानी

देव शयनी एकादशी की कथा का वर्णन ‘भविष्य पुराण’ में मिलता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा मांधाता ने अपने राज्य में सूखे के कारण लोगों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए नारद मुनि से उपाय पूछा। नारद मुनि ने उन्हें देव शयनी एकादशी का व्रत करने का परामर्श दिया। राजा ने इस व्रत को किया और इसके प्रभाव से राज्य में वर्षा हुई और लोगों की समस्याएं समाप्त हो गईं।

व्रत के नियम (Do’s and Don’ts)

इस दिन उपवास रखने और पूजा करने से आशीर्वाद और समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन कुछ सख्त नियम होते हैं जिनका पालन करना होता है, जैंसे साबुन से नहीं नहाना , तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना , पवित्रता और ब्रह्मचर्य का पालन करना आदि |

क्या करें:

1. स्नान और शुद्धिकरण:

– प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– घर में गंगा जल का छिड़काव करना और घर को शुद्ध करना चाहिए |

2. भगवान विष्णु की पूजा:

– भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और उनकी पूजा करें।
– और मंत्रो का उच्चारण करना चाहिए जैसे :- ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।
– भगवान विष्णु के नाम का जाप कर सकते हैं |

3. व्रत का संकल्प:

– एकादशी व्रत का संकल्प लें और दिन भर उपवास रखें।
– दिन भर किसी के बारे में गलत नहीं सोचने का संकल्प लें |
– और कोई अनुचित कार्य नहीं करें |

4. भजन और कीर्तन:

– विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें |
– भजन-कीर्तन में भाग लें।
– मंत्रो का उच्चारण करें |

5. दान:

– जरूरतमंदों को अन्न का दान करना चाहिए |
– भूखे लोगो को भोजन कराना चाहिए |
– कपडे दान करना चाहिए |
– धन का दान करना चाहिए |

क्या न करें:

1. अन्यथा आहार:

– व्रत के दिन चावल, अनाज, और अन्य तामसिक भोजन का सेवन न करें।
– तामसिक खाद्य पदार्थों में मांस, लहसुन, प्याज का सेवन नहीं करें |

2. विलासिता:

– विलासिता और आराम का त्याग करें और साधारण जीवन व्यतीत करें।

3. क्रोध और कलह:

– क्रोध और कलह से बचें, मन और वचन को शांत रखें।

4. अनुचित कार्य:

– कोई भी अनुचित कार्य या बुरे कर्म न करें।
– किसी के लिय भी बुरा नहीं सोंचे |

5. नशा:

– किसी भी प्रकार के नशे का सेवन न करें।
– शराब, सिगरेट, तंबाकू आदि का सेवन नहीं करें |

चातुर्मास का महत्व

चातुर्मास का समय साधना, तप, और भगवान की भक्ति के लिए उत्तम माना जाता है। इस समय में विवाह, नया व्यवसाय, और अन्य मांगलिक कार्यों का निषेध होता है। यह समय साधकों और भक्तों के लिए आत्म-अवलोकन और साधना का होता है।

समापन

देव शयनी एकादशी का व्रत जीवन में अनुशासन, शुद्धता और भक्ति लाने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। यह व्रत न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का भी माध्यम है। इस पवित्र दिन को सही तरीके से मनाने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

इस पावन व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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